Read this article in Hindi to learn about top three functions of pancreas in the human body. The functions are: 1. Glucagon 2. Insulin 3. Somatostatin.

Function # 1. ग्लूकागोन:

यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है तथा एक मात्रा से नीचे नहीं गिरने देता है । अत: ग्लूकोगोन में रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाने का गुण होता है । यह दो मुख्य क्रियाओं द्वारा होता है ।

1. ग्लाइकोजन को तोड़कर (Glycogenolysis)

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2. ग्लूकोनियोजेनेसिसग्लूकोज का अन्य स्रोतों जैसे एमिनो एसिड से निर्माण (Gluconeogenesis)

ग्लूकोगान का लेबल रक्त में ग्लूकोज की मात्रा से नियंत्रित होती है । ग्लूकोज की मात्रा रक्त में कम होने पर ग्लूकोगोन का स्रावबढ़ जाता है ।

Function # 2. इन्सुलिन:

इन्सुलिन का स्राव वीटा कोशिकाओं से होता है । यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम करने वाला प्रमुख हारमोन है । यह शरीर की अन्य क्रियाओं को भी प्रभावित करता है ।

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इसके मुख्य कार्य हैं:

1. कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज लेने की दर बढ़ाना तथा ग्लाइकोजन निर्माण के लिए इन्जाइमो को उत्तेजित करना ।

2. फैटी कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज लेने की दर बढ़ाना

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3. प्रोटीन निर्माण बढ़ाना ।

4. ग्लूकोनियोजेनसिस घटाना ।

5. भोजन की मात्रा बढ़ाना ।

इन्सुलिन का नियंत्रण:

मुख्य निर्धारक रक्त में ग्लूकोज की मात्रा ही है ।  बढ़ी हुई ग्लूकोज की मात्रा इन्तुलिन स्राव को बढ़ा देती है । प्लाज्मा के अन्य पदार्थ जैसे एमिनो एसिड व वसा भी कुछ हद तक इन्सुलिन के स्राव को प्रभावित करते हैं ।

तंत्रिका तंत्र 53 ग्लूकोज के उपापचय से सम्बन्धित कई फैक्टर इन्सुलिन स्राव को प्रभावित करते हैं । सामान्य इन्सुलिन स्राव के लिए पोटेशियम व कैल्शियम की आवश्यकता होती है । अत: अधिक कैल्शियम की मात्रा इन्सुलिन  स्राव को बढ़ा देती है ।

प्लाज्मा के अन्य पदार्थ जैसे एमिनो एसिड व वसा भी कुछ हद तक इन्सुलिन के स्राव को प्रभावित करते हैं । ग्लूकोज के उपापचय से सम्बन्धित कई फैक्टर इन्सुलिन स्राव को प्रभावित करते हैं । सामान्य इन्सुलिन स्राव के लिए पोटेशियम व कैल्शियम की आवश्यकता होती है । अत: अधिक कैल्शियम की मात्रा इन्सुलिन स्राव को बढ़ाती है ।

इन्सुलिन की कमी:

इन्सुलिन की कमी से मधुमेह या डायविटीज मैलीटस (Diabetes Mellitis) नामक रोग हो जाता है । यह अन्त:  स्रावी तन्त्र का काफी मुख्य रूप से पाया जाने वाला व जटिल रोग है ।

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डायविटीज मुख्यरूप से दो प्रकार की होती है:

i. इन्सुलिन पर निर्भर:

इसे जुवेनाइल आनसेट डायविटीज भी कहते हैं क्योंकि बच्चों में यह ज्यादा होती है । इन्सुलिन के इन्जेक्शन से इसमें सुधार होता है ।

ii. इन्सुलिन पर अनिर्भर:

यह वयस्कों में ज्यादा होती है । अत: इसे एडल्ट टाइप भी कहते हैं । इसका कारण ज्ञात नहीं है । मोटे लोगों में इसके होने की संभावना अधिक होती है । इसका नियंत्रण भोजन, कसरत व शरीर का भार घटाकर किया जा सकता है ।

Function # 3. सोमेटोस्टेटिन:

इसका निर्माण डेल्टा कोशिकाओं में होता है । इसका शरीर के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न प्रभाव होता है । इसका स्राव भोजन के पश्चात बढ़ जाता है तथा तब इसका उद्‌देश्य हाइपर ग्लाइसीमिया या बढ़ी हुई रक्त ग्लूकोज की मात्रा को कम करना है । इसके अन्य कार्यो में आंत व आमाशय की मोटिलिटी कम करना, आंत के स्रावों की कमी, ग्लूकागोन के कार्य को कम करना तथा थायरायड स्टीमुलेटिंग और सोमेटोट्राफिक हारमोन का स्राव करवाना है ।

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